विषय -क्या कहता है दिल
दिनांक - 21/0523
कब तुम मिलने आओगे,
एक बार मिलन की आशा है।
अब तड़पाना यों छोड़ दो,
दिल तो ये हमारा प्यासा है।।
लोगों से छुप छुप कर तुम,
दीदार कब तक करते रहोगे।
दिल में जो कुछ चल रहा है,
अपने मुख से उसे कब कहोगे।।
इशारों ही इशारों में तुम,
बात अपनी कहना जानते हो।
मौन होकर सबके सामने,
दिल ही दिल में हमें चाहते हो।।
मेरे रूप सौंदर्य का बखान,
अपनी शायरियों में करते हो।
अप्सरा भी लजाकर शर्माएं,
ऐसी उपमा तुम रखते हो।।
हूं साधारण सी एक स्त्री मैं,
पर तुमने शब्दों से संवार दिया।
मेरे सूने से पड़े उपवन को,
फिर से तुमने महका दिया।।
तुम्हारे इस अपनत्व के भाव को,
हम कभी नहीं मिटा पाएंगे।
दिल से दिल का जो बंधन है,
भुलाकर कहीं नहीं हम जायेंगे।।
किरन झा (मिश्री)
ग्वालियर मध्य प्रदेश
-किरन झा मिश्री