🙏🏼दुनियां🙏🏼
दुनियां की इस चकाचौंध में,
हर इंसान ही पीछे भाग रहा।
मोहमाया के चक्कर में फंसकर,
मूल जड़ों को अपने त्याग रहा।।
अपनी महत्वकांक्षाओं के लिए,
गलत सही का भेद भूल रहा।
लाभ हानि के चक्कर में,
अपनों का भी साथ छूट रहा।।
एक दूसरे की लोग होड़ करके,
बस अंधाधुंध भाग रहे हैं।
वो सफल है मैं क्यों नहीं,
बस इस बात को ही मान रहे हैं।।
दूसरे की सफलता को देखकर,
उनके जैसा ही बनना चाहते हैं।
गलत सही का विचार त्यागकर,
बस अपनी तरक्की करना चाहते हैं।।
दो राह में ये बंटी है दुनियां,
सही गलत की राह पहचान लो।
सत्य राह पर अग्रसर होकर,
धर्म,कर्म को अपने जान लो।।
कुछ लोग आंखों पर पट्टी बांधकर,
बस अंधी दौड़ लगा रहे हैं।
बोध नहीं उन्हें अपने धर्म का,
और विधर्मी अपनी दाल गला रहे हैं।।
उठो, जागो और पहचान करो,
क्या सही और क्या गलत है।
बातों में किसी के न आकर,
वही करो जो राष्ट्र झलक है।।
किरन झा मिश्री
ग्वालियर मध्य प्रदेश
-किरन झा मिश्री