🌹प्रेम🌹
प्रेम शब्द कोई खेल नहीं,
जिसे चाहा फिर छोड़ दिया।
प्रेम से जब मन भर गया तो,
फिर किसी की तरफ मोड़ दिया।।
प्रेम तो अंतरात्मा की वो आवाज है,
जो जीवन में किसी एक को चुनती है।
वो मिले या न मिले जीवन में,
सिर्फ उसके लिए ही सपनें बुनती है।।
आज के युग में प्रेम को लोगों ने,
आकर्षण के रूप में बांध दिया है।
देखते ही जिसके मोह में बंध गए,
उसे ही प्रेम का नाम दिया है।।
प्रेम तो जीवन की वो शक्ति है,
जिससे अच्छे अच्छे बंध जाते है।
लोगों की छोड़ो साधु संत भी,
प्रेम भाव से नहीं बच पाते है।।
सच्चे प्रेम की परिभाषा को,
कैसे शब्दों में व्यक्त करें।
जिसके हृदय में सरल भाव है,
वही लोग प्रेम को स्पर्श करें।।
सीधा सरल स्वभाव ही इंसान का,
प्रभु के दिल में जगह बनाता है।
प्रभु भी अपने हाथ बढ़ाकर,
उस मनुष्य को हृदय से लगाता है।।
दुनियां की इस अनंत भीड़ में,
अधिकतर लोग तो है गमगीन।
जिस पर प्रभु ने कृपा कर दी,
बस वही लोग है प्रेम में लीन।।
किरन झा मिश्री
ग्वालियर मध्य प्रदेश
-किरन झा मिश्री