बहुत करते थे प्रतीक्षा हम उनकी,
पर देखकर भी अनदेखा करते थे।
हर समय उनकी यादों के साथ,
अपनी आंखों में आंसू भरते थे।।
सब कुछ भुलाकर हमनें भी अब,
खामोशी की राह पकड़ ली है।
रहना अब अपने कार्यों में व्यस्त,
मौन को भी स्वीकृति दे दी है।।
मिश्री
-किरन झा मिश्री