कुछ लोगों ने देखा तो होगा तुमको।
जब तुम अपने जज़्बात उकेरा करती थी।
काग़ज़ स्याही कलम सुराही
ले करके,
नीले काले अहसासो से भरती थी।
शौक, शबनम, मोहब्बत, हीर, रांझा सब कुछ था।
लेकिन तुम बस कागज़ में रोया करती थी।
हसीं गम, गिले शिकवे, तमाम बातें
एक परदे में लेके सोया करती थी।
-Anand Tripathi