मेरे दिल की है तमन्ना मैं सोगवार रहूं।
उम्र भर तेरे लिए यूं ही बेकरार रहूं।।
इलाज-ए-इश्क़ मयस्सर न हो कभी मुझको।
इश्क़ में तेरे हमेशा यूँ ही बीमार रहूं।।
और कोइ दूसरी ख्वाहिश नहीं रही मुझको।
ख्वाहिश-ए-दिल है कि तुझपे मैं जाँनिसार रहूं।।
मैं किसी और का न प्यार बनूं जीते जी।
बस तुम्हारा ही मैं ठुकराया हुआ प्यार रहूं।।
फिर किसी और कि चाहत न जिंदगी में हो।
इतना तू दर्द दे गमों की मैं बहार रहूं।।
तुम मिरे दिल को कितना मीठा दर्द देते हो।
चाहता है ये दिल कि तेरा ही गमखार रहूं।।
अमीर होने की ख्वाहिश नहीं है 'आम्रवंशी'।
उम्र भर तेरी मुहब्बत का कर्जदार रहूं।।