भूख : एक कहानी कैसे हो सकती है ये तो हकीकत है। ये वास्तविकता मिटाने के लिए लोग बहोत प्रयत्नशील है मगर
भूख ऐसी चीज है जो मिटाए नहीं मिटेगी
मगर हम जो भी खाते है वो जितना जरूरत है इतना ही ले और जो भूखा है उसे भी खिलाए तो ? हम जब होटल जाते है तब एक प्लेट किसी भूखे को भी खिलाए तो ? हम पार्टी करते है तब दस प्लेट किसी भूखे के नाम करे तो?
शायद कहानी खतम नही होगी मगर कम जरूर होगी।
-Shree...Ripal Vyas