होली
सखी सहेलियों के साथ में,
खेलें हम तो आंख मिचौली।
देखो फागुन आ गया है,
अब खेलेंगे हम सब होली।।
सभी सखियों के घर जाकर,
सबको एकजुट करना है।
अपनी अपनी पिचकारी में,
रंग सभी को अब भरना है।।
कभी प्रेम से कभी मनाकर,
सखियों को रंग लगाना है।
हमें भी सखियां नहीं छोड़ेंगी,
हमको भी रंग लगवाना है।।
एक दूसरे को रंग लगाकर,
खुशी से होली मनायेंगे।
रंगों के साथ साथ हम सब,
गुझिया भी जमकर खाएंगे।।
होली के इस अवसर पर,
हम सभी कर लें एक प्रण।
द्वेष दुर्भावना को छोड़ देंगे,
यह इच्छाशक्ति कर लें दृढ़।।
किरन झा मिश्री
ग्वालियर मध्य प्रदेश
-किरन झा मिश्री