सामने मुश्किल खड़ी है
पीछे न हटूँगी, ज़िद पर अड़ी है ।
लक्ष्य और भक्ष्य दोनों की है एक ही डगर
पगडंडी - सा फ़ासला तय करना है मगर
डरकर मुसीबत से जो पीछे तू हट जाएगा
जीकर भी तू अधमरा - सा जीव बन जाएगा
हौसलें बुलंद करके कदम जो तूने बढ़ाया
साहस ने हर विपदा को अपनी राह से हटाया
मुश्किलें पाकर ही जीवन प्रशस्त होता है
पगडंडियों पर चलकर ही लक्ष्य सदा मिलता है