खुद की तलाश मे हम निकले थे
रफ़्ता रफ़्ता आज खुद को ही खो रहे हैं
जो कभी सपने मे भी नही सोचे थे
आज सारे मलालों से रूबरू हो रहे हैं।
सच तो ये है की
आज कल हमे अपने भी पराये लगने लगे है
वो सारे भरोसे वाले
अब हमें ही ठगने लगे है।
हाँ हम हर सच से वाक़िफ़ है
फिर भी नावाक़िफ बने फिर रहे है
अय्यार हैं नही पर अय्यार सा बन कर
हम खुद की तलाश मे फिर रहे हैं।।।