शीर्षक : भटकाव प्यार का
(आज की relationship पर)
बेरुखी तुम्हारे चेहरे की बहुत कुछ समझा रही है
तुम्हारी नजरे अब किसी गैर में तुम्हें उलझा रही है
मोहब्बत की बातें मेरी तुम्हें असमंज में डाल रही है
निभाने की कोई मजबूरी अंदर से तुम्हें खाये जा रही है
सनम मेरे, बेवफाई के फूलों में नाजायज महक होती है
बात कोई गैर दिल की हो तो सूरत भी नालायक होती है
फलसफा प्यार का कहता, दिल जब आवारगी करता है
अंदर के गुनाह से इस दुनिया में अपनी बेशर्मी से डरता है
माना दिल भटकता है, तुम्हारे ख्यालों की कोई मजबूरी है
कदमों में एक बेड़ी वफा की डाल लेना, सनम ये जरुरी है
साथ चले, ये, हम दोनों की आरजूओं का एक सफ़र है
लहजे से छाये प्यार में, दावे हजार, सारे के सारे लाचार है
आओ मेरे पहलू में बैठो, समझो प्यार आखिर क्या है ?
प्यार से ही बंधे, बताओं भटकते दिल का इलाज क्या है ?
✍️ कमल भंसाली