पता नही हम अपनी ज़िंदगी की कहानी श्याही से क्यो लिखते है, कही न कही उसी चाह मैं श्याही से लिखते है कि कोई उसे मिटा न शके,, लेकिन उसे हमेशा क्यों रखना है?? हम एक rubber क्यों नही रखते? जिससे हम सारी गलतियां , गलत फेसले मिटा सकें!! क्यों सब यादों से हमे हर बार गुजरना रहता है?? जिंदगी का मज़ा तो तब है जब हर सुबह की शुरुआत एक नई खाली book की तरह हो, रोज नई कहानी लिखनी है और गलत होने पर गलतियां भी मिटानी है और सबसे important दिन के End मैं उसे भूल जाना है जैसे हमारे ज़िन्दगी मैं ऐसा कुछ हुआ ही नही, चाहे वो ख़ुशी हो, गम हो, ऐहसास हो, चाह हो , राह हो...हर दिन की रात सिर्फ सिर्फ एक ही चीज साथ रखती है, चलती सासेऔर दिलो में रहते रिश्ते...
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"Unkahe रिश्ते - 2" by Vivek Patel read free on Matrubharti
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