“चित्र विचित्र अपने कर्मों से
मन ही मन घबराए
मन ही मन घबराए
तेरी किरपा का ले के सहारा
द्वार तुम्हारे आए
द्वार तुम्हारे आए

तेरे दर के सिवा मेरा
कहीं नहीं और गुजारा है
कहीं नहीं और गुजारा है
हे करुणा मयी राधे
मुझे बस तेरा सहारा है”
🙏🏻

Hindi Microfiction by Umakant : 111859153

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