मेरी तड़प
उसकी छवि है मनमोहक,
देख सबका मन ललचाए।
नैन नक्श उसके देखकर,
जी उसका होने को आए।।
काली काली बड़ी बड़ी आंखें,
मुझको सम्मोहित करती है।
डूबने का उनमें मन करता है,
पर वो यह नहीं समझती है।।
उसके गुलाबी अधरों को,
छूने को दिल चाहता है।
गर्म गर्म उसकी सांसों को,
महसूस करना चाहता है।।
कब वो मेरे जज्बातों को,
अपने दिल में महसूस करेगी।
या ऐसे ही हम जलते रहेंगे,
और वो अपने हाथ सेकेगी।।
किरन झा मिश्री
ग्वालियर मध्य प्रदेश
-किरन झा मिश्री