सुनोगे क्या.................................................
कुछ कहना है तुमसे सुनोगे क्या,
मेरे इंकार को भी महत्व दोगे क्या,
माना कि अब पहले जैसी बात रही नहीं,
तुम भी क्या इस बात पर हामी भरोगे क्या,
कुछ कहना है तुमसे सुनोगे क्या................................
जो मेरे दिल ने कहा वो सुनोगे क्या,
ड़र रहे है तुम्हारे अहंकार से,
मेरी बात को सम्मान दोगे क्या,
चाहो तो रूक कर, मुड़ कर मुझे ना देखना,
ऐ बिछड़ने वाले मेरी इज्ज़त का कुछ तो मान रख लेना,
इतनी सी गुज़ारिश है मेरी,
तुम सुनोगे क्या.................................
माना कि इन दिनों हम भी खामोश रहने लगे है,
वजह मालूम है हमें बस तेज़ाब से ड़रने लगे है,
किस बात की अकड़ है तुम्हें जो इतना गुरूर करते हो,
बर्दाशत की कमी है तुममे और खुद को इंसान कहते है,
ड़र से ड़र नहीं लगता मगर दर्द से लगता है,
सब कुछ कहते हो मगर हमारी बारी में,
तुम्हें सुनने से ड़र लगता है..............................................
स्वरचित
राशी शर्मा