विषय-बसंत आज तू भी
दिनांक-05/02/2023
बसंत आ गया देखो फिर से,
दिल मदमस्त हो भाग रहा है।
शीतल चलती इस पुरवाई में,
मन मयूर हो नाच रहा।।
आयेंगे इस बसंत जो साजन,
उनको जल्दी जाने न देंगे।
रूठे रूठे से अपने सजन को,
प्रेम से हम मना ही लेंगे।।
करके पूरे साज श्रृंगार को,
उनके सम्मुख हम आयेंगे।
जैसे फूलों पर भवरें मंडराते,
ऐसे उन्हें हम रिझायेंगे।।
मन उपवन की इस बगिया में,
नित नए नए फूल खिलाएंगे।
फूलों से ये उपवन महके,
इस लिए नए नए फूल सजाएंगे।।
बसंत आज फिर से तुम तो,
दिल पर दस्तक दे गए हो।
रंग फिर से भर गए जीवन में,
ऐसी उम्मीद से भर गए हो।।
किरन झा (मिश्री)
ग्वालियर मध्य प्रदेश
-किरन झा मिश्री