दोहा सृजन हेतु शब्द--*
*अलसी,सरसों,खेत,खलिहान,फागुन*
अलसी से कपड़े बने, बीजों से है तेल।
जो खाते इस बीज को, स्वस्थ निरोगी मेल।।
खेतों में सरसों खिली, चूनर ओढ़ी पीत ।
बासंती ऋतु आ गई, झूम उठे मनमीत।।
खेत सभी हर्षित हुए, फसलें हुईं जवान।
श्रम की सिद्धि हो गई, ऊगा नया विहान।।
फसल काट खलिहान तक, बना स्वयं मजदूर।
कोठी में धन-धान्य रख, नहीं हुआ मजबूर।।
देख माघ मुस्का रहा, फाग खड़ा दहलीज।
रंग गाल में मल गया, राधा आँखें मींज।।
मनोजकुमार शुक्ल " मनोज "
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