आज नजाने क्यों अकेला लगने लगा है।
ख़ुद को कहीं खोया खोया लगने लगा है।।
आ पास बैठ क्यों रूठा हुआ लगने लगा है।
आज मेरे होने से भी ना होना लगने लगा है।।
तुझको मैने पा लिया है ऐसा लगने लगा है।
देखा जब खुदको ये मुझे क्या लगने लगा है।।
तेरे बगैर ही अच्छे थे ये मन ही मन लगने लगा है।
-PARIKH MAULIK