जोखिम लेने से कभी डरें नहीं
अपने लक्ष्य से कभी हटे नहीं
भय की आख़िरी रैन है , तू भोर से नई शुरुआत कर
हौसलों को थामकर स्वयं भविष्य की तू नींव रख
ऐ मुसाफ़िर ! ग़र काँटे मिलते हैं राह में तो मिलने दे
तू थामकर पतवार को बढ़ते तूफ़ानों का रुख़ मोड़ दे
लक्ष्य को बस लक्षित कर जब कदम तू बढ़ाएगा
ज़िंदगी की नैया को बस ऐसे पार तू लगा पाएगा