बचपन से बच्चों में, संस्कार यहीं जगाना है।
हरी -भरी धरती को कर, पर्यावरण बचाना है।
स्वच्छ हवा में सांस ले सके, यह संकल्प बनाना है।
दाना- पानी मिल सके जीवों को, यह कर्तव्य निभाना है।
दया -धर्म का पाठ पढ़ा कर, जीवन को सफल बनाना है ।
प्रकृति है अनमोल, अब हमें इसे बचाना है।
ईश्वर की इस अनमोल धरा को, फिर से स्वर्ग बनाना है।
पक्षियों के कलरव गान से, धरती को चहचहाना है।
पेड़ लगाकर इस मिट्टी को, उपजाऊ हमें करना है।
बहुत हो चुका अब इसका दोहन, आरंभ अभी से करना है।
पूर्वजों की इस परंपरा को, आगे भी अपनाना है।
यज्ञ -योगिक क्रियाओं से, पर्यावरण बचाना है।
दूषित हो चुकी नदियों को, फिर से पवित्र बनाना है।
जल की इस मितव्ययिता को, जन-जन को समझाना है।
सबको मिलकर, हर - दिन एक पेड़ लगाना है।
हरी -भरी धरती को कर, पर्यावरण बचाना है ।
-Nidhi Soni