प्रताप का सिर कभी नहीं झुका,
इस बात से अकबर भी शर्मिंदा था,
मुगल कभी चैन से सो न सके,
जब तक मेवाड़ी राणा जिन्दा था.
इकबाल था बुलंद, उसे धूल कर दिया,
मद जिसका था प्रचंड, सारा दूर कर दिया,
राणा प्रताप इकलौते, थे ऐसे वीर जिसने
अकबर का सारा घमंड, चूर चूर कर दिया.
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