मैं मौसम की रानी...........................
मैं सबको समान रूप से देखती हूँ,
जब गिरती हूँ धरती पर तो सबको भीगों देती हूँ,
मुझे लोगों का और लोगों को हमेशा मेरा इंतज़ार रहता है,
बेमौसम में भी हमारा रिश्ता पुराने जैसा ही रहता है,
अमीर खेलता है मेरी बूँदों से तो,
गरीब मेरी बौछार का मज़ा लेता है,
फर्क खत्म करती हूँ मैं शायद इसलिए मेरा कुछ खास रिश्ता है.............................
गर्मी में लोग घर में बैठे रहते है,
सर्दी में कंबल में दुबके रहते है,
ना जाने वो सब कैसे उन मौसम का मज़ा लेते है,
लेकिन मेरे आने पर सब घर से बाहर निकल कर,
मेरा स्वागत करते है,
मैं भी उनकी खुशियों में इज़ाफा करता हूँँ,
देता हूँ हरियाली पर्वतों को और खेतों में पानी देता हूँ,
माना कि कई बार मेरा रूप भयावह होता है,
मगर क्या ऐ मेरी गलती है,
जब इंसान को ही मुझे छेड़ने का शौक चढ़ा है........................
स्वरचित
राशी शर्मा