Hindi Quote in Poem by Premyad kumar Naveen

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रात को रात और दिन को दिन लिखूंगा //

दर्द―ए―मुहव्वत को भी , मैं हसीं लिखूंगा //

एतबार करके तो देखो जरा तुम एक दफ़ा

दिल–ए―कलम से दर्द भी , मैं रंगीं लिखूंगा //

क़यामत सी शब आई , तिरे छोड़ जाने के बाद

नींद खो गई औ चैन खो गया ,हा मै यही लिखूंगा //

भरे बज़्म मिरे चाहत को यूँ ,रुसवा कर रही है वो

ये तमाम बातें जानकार भी ,मै गलत नहीं लिखूंगा //

इसबार न खुद को गलत न तुम्हें,मै सहीं लिखूंगा //

आसमाँ को मिली नही जमीं हा, मै यहीं लिखूंगा //

मसअला यही रहा की चाहत , मिरा समझे नही

ग़म-ए-हिज्राँ तोहफ़े मे मिले हा ,मै वहीं लिखूंगा //

इश्क़ तो इश्क है , चाहे एक तरफ हो या दोनों

उसे थोड़ा मीठा और थोड़ा, मै नमकीं लिखूंगा //

लब-ओ-रुख़सार तस्वीर देख, गुज़ारा न होगा

जाँ आज ये बात डायरी में , मै यकीं लिखूंगा //

©® प्रेमयाद कुमार नवीन
जिला - महासमुन्द (छःग)

Hindi Poem by Premyad kumar Naveen : 111842689
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