रात को रात और दिन को दिन लिखूंगा //
दर्द―ए―मुहव्वत को भी , मैं हसीं लिखूंगा //
एतबार करके तो देखो जरा तुम एक दफ़ा
दिल–ए―कलम से दर्द भी , मैं रंगीं लिखूंगा //
क़यामत सी शब आई , तिरे छोड़ जाने के बाद
नींद खो गई औ चैन खो गया ,हा मै यही लिखूंगा //
भरे बज़्म मिरे चाहत को यूँ ,रुसवा कर रही है वो
ये तमाम बातें जानकार भी ,मै गलत नहीं लिखूंगा //
इसबार न खुद को गलत न तुम्हें,मै सहीं लिखूंगा //
आसमाँ को मिली नही जमीं हा, मै यहीं लिखूंगा //
मसअला यही रहा की चाहत , मिरा समझे नही
ग़म-ए-हिज्राँ तोहफ़े मे मिले हा ,मै वहीं लिखूंगा //
इश्क़ तो इश्क है , चाहे एक तरफ हो या दोनों
उसे थोड़ा मीठा और थोड़ा, मै नमकीं लिखूंगा //
लब-ओ-रुख़सार तस्वीर देख, गुज़ारा न होगा
जाँ आज ये बात डायरी में , मै यकीं लिखूंगा //
©® प्रेमयाद कुमार नवीन
जिला - महासमुन्द (छःग)