मस्त रहो दुनिया में अपनी
कितने दिन सुख पाओगे
बहुत बड़ा है जहां तुम्हारा
इस जग में खो जाओगे
धरती की गोदी में रहकर
आसमान को तकती हूँ
मद में डूबे दंभी मुझसे
कैसे नजर मिलाओगे।
रोज रोज पोशाक बदलना
केवल कर्म तुम्हारा था
जानो सच दुनिया का एक दिन
बिन पोशाक ही जाओगे
नहीं पसंद माना तुमको हम
लायक मेरे कहाँ हो तुम
चाहेगी दुनिया हमको तुम
खुद से भी कतराओगे।
रिश्तों को भी तुमने तो
बस मजाक ही जाना था
हम अपने अपनों के होंगे
तुम एकाकी रह जाओगे
सुनीता बिश्नोलिया