*॥ न हंसाः प्रेतवने रमन्ते ॥ ।।*
*🔷 भावार्थ:-*
हंस नामक पक्षी श्मशान में रहना पसंद नहीं करते।
*♦️संक्षिप्त वर्णन :-*
जिस प्रकार हंस श्मशान में नहीं रहते, उसी प्रकार योग्य व्यक्ति अयोग्य व्यक्ति के पास बैठना पसंद नहीं करते। गुणी व्यक्ति एकान्त में अज्ञात जीवन बिता देना तो स्वीकार कर लेते हैं, परंतु बुरी संगति में रहना कभी स्वीकार नहीं करते।।