*रोशनी, उजियार, जगमग, तम, दीप*
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1 रोशनी
दीवाली की रोशनी, बिखराती उजियार।
प्रखर रश्मियाँ दीप की, करे तमस संहार ।।
2 उजियार
हिन्दू-संस्कृति है भली, नहीं किसी से बैर।
फैलाती उजियार जग, माँगे सबकी खैर।।
3 जगमग
जगमग दीवाली रही, देश कनाडा यार।
आतिशबाजी देख कर, लगा भला त्यौहार।।
4 तम
तम घिरता ही जा रहा, सीमा के उस पार।
चीन-पाक आतंक का, कैसे हो उपचार।।
5 दीप
दीप-मालिके कर कृपा, फैला दे उजियार।
सद्भभावों की भोर हो, खुलें प्रगति के द्वार।।
मनोजकुमार शुक्ल "मनोज"
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