मैं नींद..........................
मैं नींद हर थकन की साथी हूँ,
आराम देती हूँ, सपनों में उलझाती हूँ,
मेरी आगोश में कुछ भी याद नहीं रहता,
मैं रहती हूँ सबके पास,
मेरे पास कोई नहीं रहता............................
इंसान जब तनाव में घिरा होता है.
तब वो सोना चाहता है,
आँखें बंद कर वो किसी और दुनिया का होना चाहता है,
यकीनन भूल जाता है वो जागती आँखों से देखा मंज़र,
याद रहता है उसे सिर्फ सपना भरो सुनहरा सफर.........................
पहले मैं आँखों में उतरती थी,
अब लोगो को नींद ही नहीं आती,
खाते है नींद की गोलियां फिर भी नींद नहीं आती,
इसलिए शायद खफा - खफा से रहते है,
बिमारियों से घिरे रहते है,
मेरी अहमियत नहीं समझते,
तभी तो खोए - खोए रहते है................................
स्वरचित
राशी शर्मा