रूप रंग ऐसा दिया है,
जो देखे मन में हर्षाए।
तुम्हारे रूप, सौंदर्य की,
प्रशंसा हर कोई कर जाए।।
रूप और रंग के साथ साथ,
तुम गुणों की खान भी हो।
सबके दिलों पर राज करती,
और परिवार की जान भी हो।।
तुम जहां पर भी रहती हो,
हंसी ठिठोली में खेलती हो।
सबको अपना बनाकर के,
खुशियों के रंग बिखेरती हो।।
तुम्हारे इसी रूप को देखकर,
रूपम तुम्हारा नाम रखा था।
माता पिता ने बहुत सोचकर,
सांझा सबसे ये नाम किया था।।
खुश रहो और खुशियां बिखेरो,
ईश्वर से यही प्रार्थना करते हैं।
आनंद मंगल तुम्हारा जीवन बीते,
बस इसकी ही ख्वाहिश रखते हैं।।
किरन विनोद झा
-किरन झा मिश्री