दिल संभल जा जरा अगर मोहब्बत करने चला।।
काश मुझे कोई इसका मतलब कुछ साल पहले बता देता।
तो शायद मैं उसे देख के उसपे फिदा नही होता।।
अगर फिदा भी होता तो।।
उसपे जान निशाबर करता नही।।
और शायद उसे अपना बनाता भी नही।।
और अपना बना भी लेता तो उसे अपने रूह में बसाता नही।।
अगर रूह में बसाता नही तो अभी मैं उसे याद करता नही।।।