लाड़.......................
नन्हें हाथ सहलाते है बुढ़ापे को,
मुलायम हाथ पहुँच जाते है आंसू पोंछने को,
दोनों का रिश्ता अजीब सा है,
एक बच्चा हो तो दूसरा बचपन की कगार पर पहुँच गया है...................................
कहानी होती है, बातें होती है,
इशारों से फरमाइशें बयान होती है,
सब पवित्र होता है वहाँ,
मिलावट तो मसझदारों में होती है................................
नाराज़गी होती है, मगर गुस्सा नहीं आता,
उन दोनों के बीच झगड़े का मंज़र ही नहीं आता,
प्यार करते है और जताते भी है,
दोनों एक दूसरे पर हक़ जताते भी है.............................
स्वरचित
राशी शर्मा