झरना और सुकून.........................
मैं सफेद दूध सागर सा,
मैं गिरता हूँ किसी पिण्ड सा,
मेरे खतरे को लोग पहचानते है,
फिर भी सुकून की तलाश में मेरे नज़दीक आते है,
बैठते है मेरे पास मुझसे बातें करते है,
मैं सुनता हूँ उनकी खामोशी ओर वो मेरी आवाज़ सुनते है.................................
मैं भयभीत करता हूँ, मैं इक्मिनान भी देता हूँ,
बूझों मुझे मैं एक पहेली जैसा हूँ,
ऊँचाई से गिरता हूँ, पाताल तक समा जाता हूँ,
गहराई तो देखों मेरी उतरता हूँ,
लोगों के दिलों में और दिमाग पर छा जाता हूँ...........................
हरियाली पहाड़ो की और काई रंग चट्टानों का,
उस पर आक्रति बनाता पानी से मैं धार का,
दिखता हूँ सुन्दर और आकर्षक भी,
ज़रा संभल कर रहना हूँ मैं थोड़ा खतरनाक सा,
मेरी शुरूआत ना पूछों ना पूछों मेरा अंत कहाँ,
मिलता हूँ मैं सबसे, मैं किसी से अंजान कहाँ.....................................
स्वरचित
राशी शर्मा