गौतम बुद्ध......................
खोजने चला वो शांति की राह,
पीड़ा से दूर आराम की चाह,
सुविधाओं को छोड़ उन्होने कठीन राह पकड़ी थी,
मंज़िल की खबर ना थी,
एकमात्र कोशिशों पर आस टिकी थी................................
खुद को खोजने निकले थे, संतों ने उन्हें ढ़ूढ लिया,
तपस्या और साधना से जिसने जीवन का सार समझ लिया,
सुख - दुख कहीं जाता नहीं, इस ज्ञान का आभास हुआ,
जीना है तो खुद में जियो, संसार ने कब किसका भला किया,
ईश्वर की प्राप्ति के लिए जिसने समाधि को श्रेष्ठ कहा,
गौतम बुद्ध ने सबको शांति का ज्ञान दिया.........................
महलों में जिए, जंगलों की जिसने खाक छानी थी,
अपशब्दों के बाण सहे फिर भी हार नहीं मानी थी,
मुस्कुराते रहे वो खुद के ही मज़ाक पर,
उन्होनें आत्मा और शरीर के संबंध को जान लिया,
फिर पीछे क्या रह गया कुछ बताने को.............................
स्वरचित
राशी शर्मा