#Shiva
जटा -जूट में गंगा समायी,गले लपेटे विषधर।
मृगछाला आसन है,ढमरू है त्रिशूल है कर।
त्रिनेत्रधारी, भोले भंडारी,देते हैं इच्छित वर।
हिमालय निवासी,शिव ,शंभू, त्रिपुरारी ,शंकर।
वाम -अंग में पार्वती आसीन ,संग नंदी गण।
अमृत -मंथन के समय ,पान किया सब गरल।
नीलकंठ तब ही कहाते,पिनाकी ,शशि शेखर।
डॉअमृता शुक्ला