भक्त की दुविधा
सिर गंगे की धार, गले सर्पों का हार महादेवा;
शिव कैसे करें हम सेवा ।
अगर हम जल को चढ़ायें ,तो मन में डरें;
किया है मछली ने झुठार , हुए हम भी लाचार महादेवा।
शिव कैसे करें हम सेवा…
सिर……
अगर हम दूध को चढ़ायें , तो मन में डरें ;
किया है बछड़े ने झुठार, हुए हम भी लाचार महादेवा ।
शिव कैसे करें हम सेवा…
सिर…….
अगर हम पुष्प चढ़ायें , तो मन में डरें,
किया है भँवरें ने झुठार, हुए हम भी लाचार महादेवा ।
शिव कैसे करें हम सेवा…
सिर……..
अगर हम मिष्ठान चढ़ायें, तो मन में डरें,
किया है मक्खी,चींटी ने झुठार, हुए हम भी लाचार महादेवा शिव कैसे करें हम सेवा…
सिर…….
आशा सारस्वत
#Shiva