1 नेकी
नेकी खड़ी उदास है, लालच का बाजार ।
मूरत मानवता बनी, दिखती है लाचार ।।
2 परिधान
बैठ गया यजमान जब, पहन नए परिधान।
देख रहा ईश्वर उसे, मन में है अभिमान।।
3 अनाथ
देखो किसी अनाथ को, उसका दे दो साथ।
अगर सहारा मिल गया, होगा नहीं अनाथ।।
4 सौजन्य
मित्र सभी सौजन्य से, मिलते हैं हर बार।
दुश्मन खड़ा निहारता, मन में पाले खार।।
5 सरपंच
गाँवों के सरपंच ने, दिया सभी को ज्ञान।
फसलों की रक्षा करें, प्राण यही भगवान।।
मनोज कुमार शुक्ल " मनोज "
🙏🏻