अपनों की खुशियों की खातिर
अब मै उन्ही सी हो गई हूँ।
लगा कही खो गई हूँ मै
आज मै अपनी ही तलाश मे हूँ। ।
रिश्तों को निभाते - निभाते
मै इक डोर सी हो गई हूँ।
मैं थक गई हूँ
आज फिर अपने अरमानो को कफन दे रही हूँ। ।
किसी अपने ने एक रोज कहा था मुझसे
खुश रहा करो मै भी तो हूँ।
आज फिर उन शब्दों के मोती को
माला मे पिरोने की फिराक मे हूँ। ।
बहुत तकलीफ दी है
ऐ जिन्दगी तुमने मुझे।
फिर भी आज तुझे आसान करने की आस मे हूँ
मुझमे मै हूँ कहाँ आखिर
आज फिर मै अपनी ही तलाश मे हूँ। ।
मीरा सिंह
-Meera Singh