मेरे लब्जो का परिंदा इजाजत मांगता है,
तेरी रुह की गहराई का Raaz मांगता है,

लाखो तिलिस्मी परदे करले चोपास तु,
फिर भी
दिल तो तेरी धड़कन में बसेरा मांगता है।

-Dip. The Shayar

Hindi Shayri by Dip. The Shayar : 111834984

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