मैं और मेरे अह्सास
रूह की चिड़िया का घोंसला शानदार है l
इसमें कहीं भी किसी के लिए नहीं खार है ll
जिंदादिली के साथ जीने का हुनर है भरा l
दिल हौसलों से भरपूर बहोत जानदार है ll
तबस्सुम से खिल उठा है आज चहेरा l
लबों से छलकता हर शब्द साज़दार है ll
सखी
दर्शिता बाबूभाई शाह