न तातो न माता न बन्धुर्न दाता
न पुत्रो न पुत्री न भृत्यो न भर्ता ।
न जाया न विद्या न वृत्तिर्ममैव
गतिस्त्वं गतिस्त्वं त्वमेका भवानि ।
अर्थ : हे भवानी ! न पिता, न माता, न बंधु, न दाता, न पुत्र, न पुत्री, न सेवक, न स्वामी, न पत्नी, न विद्या, न मन शाश्वत रूपसे मेरा है, अतः तुम ही मेरी गति हो, तुम्हीं गति हो, तुम्हीं मेरी एकमात्र गति हो !
जय माता दुर्गा भवानी
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