धीरे से मुझे वो एक लोरी यू सुनाती है।
मुझे मुन्ना मुझे राजा वो कहकर के बुलाती है।
मेरी हर बात में दम है। वो ऐसे हां मिलाती है।
आंखो के जो तिनके को सरीखे से उठाती है।
मुझे सुख में सुलाकर वो स्वयं दुख झेल जाती है।
जो लड़ जाए झांसी सम वही तो मां कहाती है।
-Anand Tripathi