भारत मां के माथे की बिंदी, मेरी हिंदी।
दिल से जोड़े दिल के तार, मेरी हिंदी।
सहज सरल सुकुमारी सी, मेरी हिंदी।
मां की मीठी लोरी सी, मेरी हिंदी ।
दादी नानी की कहानियों का संसार, मेरी हिंदी ।
हर रिश्ते को देती एक नाम, मेरी हिंदी।
बड़े बुजुर्गो को देती सम्मान, मेरी हिंदी।
खासोआम में नहीं करती भेदभाव, मेरी हिंदी ।
लिखने पढ़ने में एक समान, मेरी हिंदी ।
भावों को देती शब्दों में ढाल, मेरी हिंदी।
हर भाषा के शब्दों को करती सहर्ष स्वीकार, मेरी हिंदी ।
कवि, लेखकों, गुणीजनों की भाषा, मेरी हिंदी ।
साहित्य संस्कृति का समृद्ध खजाना, मेरी हिंदी ।
विदेशी धरती पर परचम लहराती, मेरी हिंदी।
मेरी लेखनी को जिसने दिलाई पहचान,वो है मेरी हिंदी।।
-Saroj Prajapati