Hindi Quote in Poem by rashi sharma

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सम्मान पर हक़.................................



तप - तप कर ज़िन्दगी काली स्याह हो गई,

जीते रहे औरों के लिए फिर भी इज़्जत खाक हो गई,

सिर झुका - झुका कर सबकी बात मानी है,

गलती ना होने पर भी अपमानजनक ज़िन्दगी गुज़ारी है.............................



खुद को अव्वल कहने वाले,

आज कितना नीचे गिर चुके है,

दूसरों को अनपढ़ और जाहिल कहने वाले,

आज खुद अपनी तमीज़ भूल चुके है,

देखों कैसे अकड़ रोज़ाना मजबूरी को निलाम कर रही है,

कितनी सस्ती है मजबूरी चीख कर और थप्पड़ मार कर बयान हो रही है................................



अमीरी ने ना जाने क्या गरीबी को समझ लिया है,

ईमानदारी का तो वजूद ही समाप्त हो गया है,

माना कि गरीबी रोज़ाना सिर झुका कर अमीरी को सलाम करती है,

फर्क तो देखों ज़रा दोनों में गरीबी उम्र और तजुर्बें को,

तो अमीरी नोटों की गड़्ड़ी को सलाम कर रही है.................................



सम्मान और इज़्जत पर हक़ सबका है,

आसमान पर उड़ने वालों से लेकर ज़मीन पर चलने वालों तक,

ऐ संसार सभी का है,

इतना गुरूर ना कर महंगी गाड़ी और धन दौलत का,

एक बार मर कर तो देख ढ़ह जाएगा तेरे अहंकार का किला,

ना भूल कि जिसको कड़वी बाते सुनाते हो,

एक वही सबको सर और मैम कह कर बुलाता है,

इन्सानियत कहो या मजबूरी वरना,

इतने तिरस्कार के बाद कौन काम पर आता है............................





स्वरचित

राशी शर्मा

Hindi Poem by rashi sharma : 111831842
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