चाँदनी रात..........................
उसकी रोशनी लाइट को भी फिका कर दें,
कह दो लोगों से बिजली को बंद ही कर दें,
आज ऐ शहर चाँद का रोशनी में रात गुज़ारेगा,
खुद की अहमियत को हमारी नज़र से पहचानेगा...............................
कभी साफ आसमान में चमकता,
तो कभी बादलों के पीछे छुपता,
कभी रात भर बात करता तो,
कभी तारों को जवाब देने के लिए साथ रखता,
छुपाता नहीं कुछ भी तभी तो अपने पर लगे दाग को,
फख्र से दिखाता है.............................
सुरक्षा भी देता है, सुरक्षित भी रखता है,
अंधेरे में कोई ना ड़रे इसलिए साथ - साथ चलता है,
खुद नहीं सोता इसलिए हर घर पर नज़र रखता है,
झांकता है पर्दें की ओट से,
सो गया मुसाफिर या अब तक जगा हुआ है...........................
स्वरचित
राशी शर्मा