बारूद बदन लोहा धड़कन,
जल कर राख हुआ तन मन।
कमजोर हुआ,हालातो से।
उखड़ा टूटा जज्बातों से।
रोता भी तो किससे मैं।
खुद से और खुद की बातो से।
अब और नहीं बर्दाश मुझे
मैं खाक हुआ आभाष मुझे।
लेकिन मुझको तुम कब तक रोकोगे।
कब तक अग्नि में झोकोगे।
मैं निकलूंगा सब चीर फ़ाड़
प्रहलाद हुए जिसका प्रमाण।
एक तीर बचा गर तरकश में।
उसको भी मैं अजमाऊंगा।
मैं आदम का जाया हूं।
मैं मरते दम तक नहीं हटूंगा।
अडिग रहूंगा।
-Anand Tripathi