क्या मिल जाएगा.................................
क्या मिल जाएगा रोज़ाना हाज़री लगा कर,
तिलक लगाकर, शीश झुका कर,
देखने वालों को तो सब कुछ वैसा ही लग रहा है,
बदलाव का तो पता नहीं,
लेकिन दरबार में भीड़ का तांता लगा हुआ है.............................
क्या मिल जाती है वो चीज़ जिसे रोज़ाना मांगने आते हो,
ऐसा लगता है तुम भी उसकी ज़िद्द को आज़माना चाहते हो,
पहले घर में और फिर मंदिर के बहाने उसे बहलाना चाहते हो,
हमें पता है सबको एक ही बात सता रही है,
ऐसा क्या माजरा है जो उसकी भक्ति भगवान को रास आ रही है..............................
साफ दिल और मन का सारी कारीसतानी है,
वो बुलाता है कुछ इस तरह कि उससे बढ़ती हमारी यारी है,
आज नहीं तो कभी तो मेरी सुनेगा, मैं बात करूँगी और वो सामने होगा,
वो मिल जाएगा उसकी राह में जा के...........................
स्वरचित
राशी शर्मा