Hindi Quote in Poem by किरन झा मिश्री

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विषय - सितम्बर की एक शाम
दिनांक -11/09/2022

आना एक शाम,तुम हमसे मिलने,
जब सावन की फुहार लगी हो।
मन,तन से भींग जाए हम,
कुछ ऐसी बरसात लगी हो।।

आओगे जब उस सितंबर की शाम को,
तो कुछ तोहफा तुम ले आना।
नहीं मांगती कुछ महंगा तोहफा तुमसे,
चाहो तो बस एक फूल ही ले आना।।

उस फूल को अपने हाथों से लगाकर,
मेरे बालों में तुम सजा जाना।
दूसरों की नजरों से बचाने के लिए,
मेरी आंख से काजल निकालकर,
तुम कान के पीछे मेरे लगा जाना।।

मेरे अधरों की मुस्कुराहट में,
कुछ इस तरह से तुम खो जाना।
जैसे प्यासा पानी को चाहता,
ऐसे तृप्त तुम हो जाना।।

मैं सावन तुम भादों बनकर,
सितंबर माह में हमसे मिलने आना।
उस शाम तुम तुम और मैं मैं न रहूं,
कुछ ऐसे अपने गले लगा जाना।।

भूलकर सारी दुनियांदारी को,
बस तुम्हें अपने पास बुलाना है।
जो भी पल साथ में गुजारेंगे,
उन पलों को यादगार बनाना है।।

सितम्बर की उस भीगी शाम को,
अब तुम्हारे हवाले करना है।
उस समय को जीवनभर सहेजकर,
अच्छी यादों में शामिल करना है।।

एक नहीं हो सके तो क्या हुआ,
यादें तो सुंदर बना सकते है।
उन अच्छी यादों के सहारे ही,
पूरा जीवन ही बिता सकते हैं।।

किरन झा मिश्री
ग्वालियर मध्य प्रदेश

-किरन झा मिश्री

Hindi Poem by किरन झा मिश्री : 111831445
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