स्त्रियों पर उंगली उठाना,
ये पुरुषों की पहचान है।
नहीं समझते उसका हाल,
उसका भी कोई मान है।।
बिना जाने आरोप लगाने में,
महिलाएं भी किसी से कम नहीं।
स्त्री ही स्त्री की दुश्मन है,
ये बात कहते केवल हम नहीं।।
कितने ही परिवार को देखो,
बहुओं पर लाक्षन लगाते हैं।
अपने परिवार के सदस्य की,
करतूतों को वह तो छुपाते हैं।।
माना हर स्त्री सही नहीं और,
हर परिवार गलत नहीं होता।
पर फिर भी किसी एक को,
बुरे अनुभवों को भुगतना होता।।
समझो एक दूसरे की बातों को,
सामजस्य रिश्ते में बैठाओ।
हंसी खुशी से हर रिश्तों को,
प्रेम पूर्वक सभी लोग निभाओ।।
किरन झा मिश्री
-किरन झा मिश्री