गिरि के पर्वतराज स्वयं
करते है जिसकी रखवाली।
जिसकी मिट्टी की खुशबू से
महकी है भुट्टो की बाली।।
इतिहास पुराना है जिसका
जिसकी गाथाएं निराली है।
जिसके अंचल मे पलकर ही
गौतम भी यहाँ भगवान हुए।।
यह वीरो की पावन धरती है
जिनमे सिमटी वीरांगनाओ की सिसकी है।
उस बच्चे की क्या तारीफ करूँ
जो पिता की शहादत पर जय हिन्द बोल गया।।
माँ की ममता भी टिक न सकी
वतन से वह मुंह फेर न सकी।
इक की चिता भी जली नही
दूजे की वर्दी सजा रखी।।
जय हिंद
मीरा सिंह
जय हिन्द
-Meera Singh