स्वतंत्र हूं स्वतंत्रता का तंत्र हूं।
विचार है स्वतंत्र और व्यवहार भी स्वतंत्र है
आर्यावर्त है अखंड ओर अभेद्य एक मंत्र हैं।
भारत की गरिमा और महिमा अनंत है।
मां भारती के चरण रज में मेरा जीवन पर्यंत है।
आदि से अनादि तक इसका न कोई अंत है।
सर्व एकमेव हैं यहीं सदैव मंत्र है।
भारत मां भारती।
सर्वांग है पुकारती।
विश्व के धरोहर पर एक यही लोकतंत्र है।
-Anand Tripathi