आजादी की शाम भी किसको नींद आई होगी,
पर्वत हिल उठे होंगे समुद्र में हलचल आई होगी,
आसमान ने भी ओस की बूंद में आंसू बहाए होंगे।
गर्व है उन वीरों पर जिन्होंने हमें आज़ादी दिलाई थी।
सीने में गोलियां खाकर जिन्होंने अपनी जान गवाई थी।
होगा वह कोई मां का लाल या बहन का भाई होगा।
होगा किसी अबोध या अजन्मे का तात या
नया जीवन शुरू करने वाली पत्नी का सुहाग होगा।
होगा अपने पिता के बुढ़ापे का सहारा या
परिवार की आंखो का इकलौता तारा होगा
आज़ादी दिलाने मातृभूमि को कितने बलिदान दिये होंगे
कुछ लिखे गए इतिहास में बहुत से गुमनामी में रह गए होंगे
इतिहास के पन्नों पर, कुछ अधिकार तो उनके भी रहें होंगे सजल भाव से जिन वीरों को, भारत ने सदा पुकारा है
उन गुमनाम बलिदानियों को श्रद्धा नमन हमारा है।
-Jyoti Prajapati